Charitraheen - Characterless

उनके दोनों नेत्र घायल शेरनी की भांति जल उठे। उसने दांतों पर दांत दबाकर धीरे से कहा - ”तुम क्या समझते हो कि सारा अपराध मेरे सिर मढ़कर भले आदमी के समान घर लौटकर, अपने उपेन भैया के पांव स्पर्श करके शपथ खाकर कहोगे कि ‘साधु हूं’, और तुम्हारा उपेन भैया सिर ऊपर उठाकर चल सकेंगे? यह न होगा बबुआ। तुम मेरी सब बात न समझ सकोगे, समझने की आवश्य कता भी नहीं है - तुम साधु हो या नहीं हो, इसके लिए भी कुछ चिंता नहीं करती। लेकिन अपराध के भार से जब मेरा सिर झुक जाएगा, तब मैं ऐसी दशा न होने दूंगी कि तुम्हारे उपेन भैया अपना सिर ऊपर उठाकर चल सकें - यह तुम निश्चित ही जान लो।.... From Amazon