बच्चोँ के दुश्मन (Bachcho ke Dushman)

 
 
 
 
 
 
 
 
बच्चों की नृशंस हत्या से भारत-दिल्ली का दिल दहल उठा। जब नागराज को इस बात का पता चला तो उसने इस अत्याचार को अंजाम देने वाले जबरा गिरोह का सफाया करने का संकल्प लिया। लेकिन ज़ेबरा का दाहिना हाथ केवल चीता ही समझ पाया कि ज़ेबरा तक कैसे पहुँचा जाए। और चीते को तिहाड़ की कड़ी सुरक्षा में कैद कर लिया गया, जिसे तोड़ना लगभग नामुमकिन था।